Delhi, India: JNUSU (Jawaharlal Nehru University Student Union) और MHRD (Ministry of Human Resources Development) के बीच हुई मीटिंग किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच पायी। यह मीटिंग देर शाम दिनांक 22-11-2019 को हुई थी। छात्र अपनी उसी मांग अथवा बात पर हैं, कि "हम फ़ीस में ज़रा सी भी बढ़ोतरी नहीं चाहते, क्योंकि हम यह बात पहले भी कह चुके हैं कि हम बढ़ी हुई फ़ीस देने में सक्षम नहीं हैं। जो फ़ीस हमसे ली जा रही है, वही देने में हमें और हमारे परिवार को काफ़ी दिक़्क़तों का सामना करना पड़ता है। इसलिए हम अपनी जायज़ मांग पर कायम हैं और हम अपना विरोध प्रदर्शन जारी रखेंगे।"
आपको बता दें, कि JNU छात्र पिछले कई हफ़्तो से सरकार और बढ़ी हुई फ़ीस के ख़िलाफ़ अपना विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। जिसमें उन्होंने काफ़ी दिक़्क़तों का सामना भी किया और हाल में एक न्यूज़ चैनल पर दिए अपने बयान में JNU के एक छात्र Sunny Dhiman ने यह कहा, कि "क्यों हमारी बात सरकार नहीं सुन रही? क्यों हम छात्रों को मारा गया? क्यों हमारे भविष्य के साथ खेला जा रहा है? हमारी पढाई ख़राब हो रही है, इस विरोध प्रदर्शन के चलते!"It is certainly death of Higher education system of India! https://t.co/FpRd3TF9So— Sunny Dhiman Wakker (@sunnywakker) November 16, 2019
भारत के लगभग सभी विपक्षी दल व नेता JNU छात्रों पर कराई गई लाठीचार्ज का कड़ा विरोध कर रहे हैं और सरकार पर आरोप लगा रहे हैं, कि भारत सरकार (भारतीय जनता पार्टी) छात्र विरोधी है। विपक्षी दल व विरोध प्रदर्शन कर रहे JNU छात्रों ने सरकार पर यह भी आरोप लगाया है, कि सरकार JNU जैसी यूनिवर्सिटी को निजी हाथों में देना यानी उसका Privatization करना चाहती है।
— Newsroom Post (@NewsroomPostCom) November 19, 2019वहीं भारत सरकार (भारतीय जनता पार्टी) व उसके सभी नेता छात्रों के विरोध प्रदर्शन को एक सोचा समझा राजनेतिक क़दम बता रहे हैं। भाजपा नेता Giriraj Singh ने तो यहां तक कह दिया कि JNU छात्र विश्विद्यालय को अर्बन नक्सलिम का अड्डा बनाना चाहते हैं! सोशल मीडिया पर भी लोगों के अलग - अलग तर्क हैं। किसी का कहना है, कि "JNU छात्र देशविरोधी हैं, छात्रों के पास फ़िल्म देखने के लिए पैसे हैं लेकिन फ़ीस देने के लिए नहीं और कुछ का कहना है कि हम टैक्स पेयर अपने पैसे JNU छात्रों पर ख़र्च क्यों करें?"
हालांकि भाजपा नेता और लोगों के इन सभी तर्कों का कोई लेना - देना नहीं है फ़ीस बढ़ोतरी से, क्योंकि यह सब एक प्रकार के आरोप हैं और क़ानूनी तौर पर देखा जाए तो किसी संस्थान या व्यक्ति विशेष पर बिना किसी सबूत के ग़लत टिप्पणी करना, क़ानूनन अपराध भी है। क्योंकि कौन सही है और कौन ग़लत उसका फैंसला माननीय न्यायालय ही कर सकता है। आपको बता दें कि JNU एक सरकार द्वारा चलाए जाने वाला संस्थान है, जिसे विशेष दर्जा प्राप्त है और यह यूनिवर्सिटी, खोली ही इसलिए गयी और इसकी फ़ीस इसलिए ही इतनी कम रखी गई थी, ताक़ि देश के ग़रीब तबक़े से आने वाले छात्र इस विश्विद्यालय में पढ़ सके।
देश के ज़्यादातर न्यूज़ चैनलों पर भी छात्रों के इस विरोध प्रदर्शन को ग़लत बताया जा रहा है। जिसपर JNU छात्रों का आरोप है, कि मीडिया सरकार की कठपुतली बनी हुई है और हमारे ख़िलाफ़ देश के लोगों को ग़लत संदेश दे रही है। वहीं दूसरी ओर सिर्फ़ एक न्यूज़ चैनल NDTV ने JNU छात्रों में से कुछ छात्रों को अपने न्यूज़ स्टूडियो में बुलाया, जिसमें से एक छात्र जिन्हें "Shashi Bhushan Pandey व Shahi Bhushan Samad" भी कहा जाता है, उन्हें बुलाया और उनसे बात की। जहां इन छात्रों ने अपनी बात रखी और देश के लोगों तक अपनी बात पहुचाई।He is Shashi Bhushan from JNU, Singing Habib Jalib's Dastur.— Md Asif Khan آصِف (@imMAK02) November 18, 2019
He is visually challenged, today he was brutally beaten up by Delhi police during #JNUProtests . He was admitted in AIIMS Delhi.
Shame on you Delhi Police!!#EmergencyinJNU pic.twitter.com/8kNnaxSRic
NDTV की एंकर Nidhi Kulpati ने छात्रों से उनकी बात और उनकी मांगों के बारे में पूछा, जिसमें छात्रों की ओर से मांगों को काफ़ी हद तक समझा जा सकता था। छात्रों की दिक्क़ते पूरी तरह से साफ़ नज़र आ रही थी, कि वह और उनके परिजनों की स्थिति ऐसी नहीं है, कि वो बढ़ी हुई फ़ीस दे पाएं। (आपको बता दें, कि Shashi Bhushan Pandey ठीक तरह से या आप कह सकते हैं कि देख नहीं सकते। विरोध प्रदर्शन के दौरान पुलिस द्वारा की गई लाठीचार्ज में Shashi Bhusan को बुरी तरह मारा गया था, यह जानते हुए भी कि वे देख नहीं सकते फ़िर भी पुलिस ने उन्हें बुरी तरह मारा। जिससे उनकी हालत बिगड़ गई। उनकी हालत बिगड़ते देख पुलिस ने उन्हें आनन - फानन में दिल्ली के ही AIIMS अस्पताल में भर्ती कराया। NDTV स्टूडियो में भी वे कुछ हालत सुधारने के बाद आए थे, लेकिन उन्हें किसी व्यक्ति का सहारा लेना पड़ रहा था, चलने के लिए!)
(आख़िर में आपको यह भी बता दें, कि अभी तक सरकार या जो भी फ़ीस बढ़ाने के पक्ष में है, या जो फ़ीस बढ़ाई गई है। जिसकी वज़ह से छात्रों का प्रदर्शन जारी है, उसपर "कोई एक भी" ठोस वज़ह सामने ना तो सरकार का कोई नेता रख पाया है और नाहीं सोशल मीडिया पर कोई व्यक्ति विशेष! जिस कारण छात्रों की पढ़ाई ख़राब हो रही है और छात्र अपने आप को ठगा हुआ सा महसूस कर रहे हैं।)
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