ISIS सरगना "Abu Bakr al-Baghdadi" की मौत पर संदेह क्यों!?...
सबसे पहले आपको यह बता दें, कि आख़िर कौन था यह बग़दादी और कितना ज़ालिम और ख़तरनाक़ था यह अब तक का सबसे बड़ा आतंकी। जिसने अपनी हैवानियत के चलते "Osama Bin Landen" को भी कहीं पीछे छोड़ दिया। (कृप्या ध्यान दें कि आतंकी "Baghdadi" से जुड़ी सभी बातें जो नीचे लिखी, बताई और दिखाई गयीं हैं, वो कुछ लोगों को विचलित कर सकती हैं।)
ISIS एक संगठन है, जिसको (Islamic State of Iraq and al-Sham/Daesh/Islamic State) भी कहा जाता है। उसका मुख्य सरगना Abu Bakr al-Baghdadi जिसका असल नाम Ibrahim Awad Ibrahim al-Badri al-Samarrai था, साल 2010 में इस संगठन आईएस-आईएस की कमान संभाली थी।
साल 2014 में Baghdadi ने एक छोटा सा वीडियो जारी किया, जिसमें उसने दुनिया के सभी मुसलमानों से अपील करते हुए कहा, "मैं दुनिया के सभी मुसलमानों से अपील करता हूं कि वे सब मेरा साथ दें और मेरे साथ शामिल हों। अगर उनको लगे कि मैं ठीक हूं तो मेरी मदद करें और उनको अगर लगे कि मैं कुछ ग़लत कर रहा हूं, तो मुझे बताएं।"
इसके बाद बग़दादी ने सिलसिलेवार ठंग से मासूम बच्चों से लेकर उम्रदराज़ लोगों के साथ - साथ जवानों को मारना शुरू कर दिया। बग़दादी बहुत बेरहमी के साथ एक साथ लोगों को इकट्ठा करता और उनको मार देता, साथ ही उसका वीडियो बनाकर उसके लड़ाके सोशल मीडिया पर कई प्लेटफॉर्म्स पर अपलोड कर देते थे। बग़दादी सिर्फ़ एक ही बार कैमरे के सामने देखा गया, जो उसके लड़ाकों ने साल 2014 में फिल्माया था। उसके बाद उसे कभी भी और किसी भी माध्य्म से उसके बाद नहीं देखा गया।
लोगों की जानें उसके लड़ाके लोगों के सिर में गोली मारकर और उनकी गर्दन काटकर लेते थे। इस हैवानियत को सोशल मीडिया पर देखकर दुनिया भर के बड़े - बड़े देश कांप गए। वहीं दूसरी ओर, इससे काफ़ी बड़ी संख्या में पूरी दुनिया के नौजवान प्रभावित भी हुए और इसके चलते वह सब ISIS में शामिल हो गए। जिसमे ज़्यादातर मुस्लिम समुदाय से थे। इतना ही नहीं, इन नौजवानों में काफ़ी बड़ी संख्या में पढ़े लिखे और बहुत क़ाबिल नौजवान भी थे।
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Baghdadi के हुक़्म के चलते उसके लड़ाकों ने बड़ी संख्या में "Yazidi*" मर्दों को एक साथ हज़ारों की संख्या में मार दिया। इन सभी की हत्या बग़दादी के लोगों ने एक - एक यज़ीदी नौजवान और मर्द के सिर में गोली मारकर साल 2014 के मध्य में की। इसके अलावा यज़ीदी महिलाओं और बच्चियों का अपहरण कर उनका इस्तेमाल दुष्कर्म के लिए करना और उन्हें बेचे जाने वाला जैसा आपराधिक काम भी बग़दादी के संगठन में शामिल था। जो की, सीधे तौर पर "Human Rights" के कानूनों का सीधा उलंघन करता था। जिसके चलते यज़ीदी समुदाय के लोगों ने Washington DC में प्रदर्शन किया और यह सब रोके जाने की मांग व गुहार लगाई। *(Yazidi समुदाय के लोग असल में क़ुरान और बाइबल दोनों को मानते हैं। यह समुदाय एक ग़लतफ़हमी की वज़ह से सदियों से दबता आया है मुस्लिम समुदाय से। कट्टरपंथी मुसलमानों के हिसाब से यह समुदाय एक शैतान की उपासना करते हैं, जबकि ऐसा नहीं है। मगर उस ग़लतफ़हमी के चलते इनपर बेहद ज़ुल्म किया गया, पहले भी और बग़दादी द्वारा ज़्यादा!)
Baghdadi के लड़ाकों ने विदेशी लोगों को ख़ास तौर पर अपना निशाना बनाया, क्योंकि उसका (Baghdadi) असल मक़सद ही दुनिया के सभी देशों के ग़ैर मुस्लिम समुदाय के लोगों को मारना था। जिसमें James Foley, Steven Sotloff, David Haines भी शामिल थे। इन सभी की गर्दन काटकर हत्या की गई, जिसके लिए बग़दादी ने अपना एक विशेष लड़ाका चुना। इसका असल नाम "मोहम्मद इम्वाज़ी" (Mohammed Emwazi) था, जिसे "Jihadi John" भी कहा जाता था। जिहादी जॉन इसलिए कहा जाता था, क्योंकि इसके बोलने का तरीक़ा विदेशियों की तरह था। लोगों की गर्दन काटते समय उसका वीडियो बनाया जाता और उसको सोशल मीडिया अपलोड कर दिया जाता था, ताक़ि दुनिया भर में इसे देखकर लोग सहमे। यही मक़सद भी था बग़दादी का और इसमें काफ़ी हद तक कामयाब भी रहा बग़दादी।
इसके बाद बग़दादी के लड़ाकों ने साल 2014 में ही "Japan" के दो नागरिकों का अपहरण कर लिया। जिसमें से एक का नाम "Kenji Goto" तथा दूसरे का नाम "Haruna Yukawa" था। बग़दादी की ओर से जापानी सरकार से इनके बदले 200 मिलियन डॉलर की मांग की गई। लेकिन जापान के Shinzo Abe इसे कूटनीति के तहत कैसे हल किया जाए इसका उपाय करने लगे। क्योंकि यह एक बहुत ही बड़ी रक़म थी और आतंकियों को यह रक़म देना कोई समझदारी भी नहीं थी। इसलिए जापान की ओर से इसे कूटनीति के तहत थोड़ा लंबा खिंचा जाने लगा। लेक़िन, बग़दादी किसी भी मामलें में कोई समझौता नहीं करना चाहता था शायद। वो दुनिया में अपनी क्रूर पहचान बनाए रखना चाहता था, जिसके चलते उसने दोनों जापानी बंधकों की हत्या करवा दी अपने उसी बेरहम मोहम्मद इम्वाज़ी के हाथों। यानी "Jihadi John" के हाथों उन दोनों की गर्दन कटवा दी गयीं। इस वज़ह से दुनिया फ़िर से एक बार सकते में आ गई और दुनिया भर की सरकारों पर दबाव पड़ने लगा कि बग़दादी का ख़ात्मा किया जाए।
मग़र यह इतना आसान काम नहीं था। उसके लड़ाके आत्मघाती हमलावर थे और बेहद कट्टरवादी सोच वाले भी। सेना के लिए हालाकिं यह कोई बड़ा काम नहीं था, क्योंकि यह काम वायुसेना के माध्य्म से किया जा सकता था। लेकिन बड़ी दिक़्क़त यह थी, कि सीरिया और इराक़ में वो आम नागरिक भी रहते थे जिनका कोई क़सूर नहीं था। इसलिए अमेरिकी सेना ने ज़मीनी कारवाई करने की रणनीति तैयार की। जो बेहद मुश्किल और खतरनाक भी थी।
अमेरिकी सेना को कुछ हद तक कामयाबी भी मिलनी शुरू हो गई, लेक़िन यह एक लंबी लड़ाई थी। जिसमें इराकी सेना ने भी मदद की। सैनिकों के साथ भी बड़ी निर्दयता से पेश आते थे बग़दादी के लड़ाके और उसके समर्थक। अगर किसी इराक़ी अथवा अमेरिकी सैनिक को मार गिराया जाता था या पकड़ लिया जाता था बग़दादी के लड़ाकों द्वारा, तो उन्हें भी गोली मार दी जाती थी या गर्दन काट दी जाती थी। यहां तक की, उनकी लाशों को बड़ी बेरहमी से गाड़ियों के पीछे बांधकर पूरे इलाक़े में घूमते थे बग़दादी के लड़ाके। कोई इंसानियत नाम की चीज़ उनके अंदर नहीं थी। वहां के स्थानीय लोग भी बग़दादी के डर की वज़ह से उसका समर्थन करते नज़र आते थे। जिसके काफ़ी सारे वीडियो सोशल मीडिया पर देखे गए।
इसी तरह Jordan के एक वायुसेना पायलट जिनका नाम "Muath al-Kasasbeh" था। उनको 24 दिसंबर 2014 को उस वक़्त बग़दादी के लड़ाकों ने बंधक बना लिया, जिस दौरान जॉर्डन के F-16 लड़ाकू विमान में कुछ तकनीकी ख़राबी आ गई और वह रक़्क़ा के पास दुर्घटनाग्रस्त हो गया। तकनीकी ख़राबी का पता चलते ही, विमान के पायलट "Mauth al-Kasasbeh" समय पर इजेक्ट कर गए। इसी वक़्त उन्हें बग़दादी के लड़ाकों द्वारा बंधक बना लिया गया था। इसके बाद उन्हें इस तरह मारा जा सकता है, किसी को भी अंदाजा नहीं था। वे बड़े ही भयानक पल थे, जिसमें उनकी हत्या की गई। उसका वीडियो भी बनाया गया और सोशल मीडिया पर अपलोड कर दिया गया। वीडियो को देखकर दुनिया भर के लोग परेशान हो गए, जिसमें दिखाया गया था कि कैसे एक लोहे के पिंजरे में लड़ाकू विमान के इस "Jordanian Pilot Mauth al-Kasasbeh" को बंद कर दिया गया पहले। उसके बाद उनको बंद करके ज़िन्दा "जला" दिया गया!!! पूरी दुनिया सकते में थी यह सब देखकर। इसपर Jordan ने ISIS ठिकानों पर जमकर हमला बोल दिया। जो काफ़ी लंबा ना चल सका।
इसी तरह Jordan के एक वायुसेना पायलट जिनका नाम "Muath al-Kasasbeh" था। उनको 24 दिसंबर 2014 को उस वक़्त बग़दादी के लड़ाकों ने बंधक बना लिया, जिस दौरान जॉर्डन के F-16 लड़ाकू विमान में कुछ तकनीकी ख़राबी आ गई और वह रक़्क़ा के पास दुर्घटनाग्रस्त हो गया। तकनीकी ख़राबी का पता चलते ही, विमान के पायलट "Mauth al-Kasasbeh" समय पर इजेक्ट कर गए। इसी वक़्त उन्हें बग़दादी के लड़ाकों द्वारा बंधक बना लिया गया था। इसके बाद उन्हें इस तरह मारा जा सकता है, किसी को भी अंदाजा नहीं था। वे बड़े ही भयानक पल थे, जिसमें उनकी हत्या की गई। उसका वीडियो भी बनाया गया और सोशल मीडिया पर अपलोड कर दिया गया। वीडियो को देखकर दुनिया भर के लोग परेशान हो गए, जिसमें दिखाया गया था कि कैसे एक लोहे के पिंजरे में लड़ाकू विमान के इस "Jordanian Pilot Mauth al-Kasasbeh" को बंद कर दिया गया पहले। उसके बाद उनको बंद करके ज़िन्दा "जला" दिया गया!!! पूरी दुनिया सकते में थी यह सब देखकर। इसपर Jordan ने ISIS ठिकानों पर जमकर हमला बोल दिया। जो काफ़ी लंबा ना चल सका।
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महिलाओं और लड़कियों को लेकर काफ़ी बेहरहमी थी बग़दादी और उसके लड़ाकों में। ख़ासतौर पर यज़ीदी, अमेरिकी और विदेशी महिलाओं पर बड़ी हैवानियत बरपाई जाती थी। जिसमें एक नाम अमेरिकी महिला का भी था। यह थीं "Kayla Mueller" इनका पूरा नाम था (Kayla Jean Mueller). Kayla अमेरिका की नागरिक थीं और वह एक "Human Right Activist" के साथ साथ एक "Aide Worker" भी थीं। साल 2013 में उनका अपरहण ISIS ने कर लिया था। वह 26 वर्ष की थीं। उनको तमाम यातनाएं दी गयीं बंधक बनाकर, उनके साथ लगातार दुष्कर्म किया जाता था और यातनाएं दी जाती थीं। साल 2015 में उनकी मृत्यु हो गई, जिसके बारे में कोई ठोस वज़ह आज तक सामने नहीं आई कि उनकी मौत किन कारणों से हुई। कहा यह भी जाता है कि ISIS पर Jordanian हमलों के चलते किसी हमले में उनकी जान चली गई थी। Kayla Mueller की लाश या उनके कोई भी अवशेष आज तक प्राप्त नहीं हुए। (Kayla के बदले ISIS ने अपनी एक महिला साथी "Aafia Siddiqui" जो कि ख़ुद भी आतंकवादी थी उसकी रिहाई की मांग की थी। इससे पहले "Al Qaida" ने भी उसकी रिहाई की मांग की थी, जब अल कायदा का मुखिया ओसामा बिन लादेन था। लेक़िन अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने बग़दादी का यह प्रस्ताव ठुकरा दिया था।)
यह सब वो घटनाएं थी जो बग़दादी के गढ़ यानी उसके अपने इलाक़े "Syria और Iraq" में हुयीं थीं। लेक़िन इसके अलावा भी बग़दादी ने दुनिया भर के और देशों में अपने पैर पसारे हुए थे। जिसमें Britain और America उसके मुख्य निशाने पर थे। (यह कुछ ही बातें और घटनाएं आपको बताई गयीं, जिससे आपको अंदाज़ा हो जाए बग़दादी का और उसके द्वारा की गई हैवनियतों का।)
अब जानिए, कैसे हुआ अंत बग़दादी का?
अमेरिकी सेना मज़बूती से अपने सभी और दलों के साथ ISIS के ख़िलाफ़ लड़ रही थी। जिसके चलते साल 2018 के अंत तक ISIS की पकड़ कमज़ोर पड़ने लगी, जिस वज़ह से काफ़ी मोर्चों पर बग़दादी के लड़ाकों को भागना पड़ा और बहुत बड़ी संख्या में उनका ख़ात्मा भी किया गया अमेरिकी और सहयोगी दलों की सेना की मदद से।
फ़िर अचानक साल 2019, दिन रविवार 27 अक्टूबर को अमेरिका के राष्ट्रपति "Donald Trump" ने अपने Tweeter Handle से एक Tweet किया। इस ट्वीट ने पूरे अमेरिका के राजनेताओं और लोगों में बेचैनी बढ़ा दी। इतना ही नहीं, बाक़ी देशों में भी इसकी चर्चा मीडिया के माध्य्म से होने लगी। असल में इस ट्वीट में राष्ट्रपति ट्रम्प ने लिखा था, "कुछ बहुत बड़ा घटित हुआ है अभी!" इसके बाद ब्रेकिंग न्यूज़ आनी शुरू हो गई, कि "US Special Forces" के 100 कमांडो ने दुनिया के सबसे बड़े, सबसे कुख्यात, सबसे ज़्यादा वांटेड और सबसे निर्मम हत्यारे बग़दादी को मार गिराया है।Something very big has just happened!— Donald J. Trump (@realDonaldTrump) October 27, 2019
इस पूरे आपरेशन को उन्हीं "Kayla Jean Mueller" के नाम ऑपरेट किया गया था, जिनका बग़दादी के लड़ाकों ने अपहरण कर लिया था। राष्ट्रपति ट्रम्प ने यह भी बताया कि किस तरह अपने अंतिम समय में बग़दादी रो रहा था और किस तरह स्पेशल फोर्स के प्रशिक्षित खोजी कुत्ते ने उसे पकड़ा। बग़दादी अपनी कुछ बीवीयों और बच्चों को लेकर भाग रहा था, जिसमे वह कामयाब नहीं हो पाया। साथ ही जानकारी के अनुसार यह भी बताया जा रहा है कि उसकी बीवियों ने स्पेशल फोर्स के कमांडो पर गोलियां भी चलायीं, लेकिन उनको कमांडो ने मार गिराया। वहीं दूसरी ओर बग़दादी के बारे में बताया जा रहा है कि उसने अपने 2 - 3 बच्चों सहित अपने आप को बम से उड़ा लिया।
इस पूरे आपरेशन की जानकारी अमेरिकी संसद के किसी भी विपक्षी दल के नेता को नहीं दी गई थी, जिस वज़ह से काफ़ी आलोचना राष्ट्रपति ट्रम्प की हुई। Nancy Pelosi जो अमेरिकी संसदीय दल की नेता हैं वह भी बाक़ी और सभी आलोचना करने वालों में से एक हैं।
Baghdadi की मौत पर संदेह क्यों किया जा रहा है?
असल में काफ़ी देशों के साथ - साथ अमेरिकी नेता और वहां के कुछ लोग यह कह रहे हैं, कि अमेरिका में होने वाले आगामी चुनाव के चलते राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प ने यह आपरेशन कराया। ताक़ि उनकी वाह वाही वहां की जनता या वहां के लोग करें। कुछ लोग यह भी कह रहे हैं कि राष्ट्रपति ट्रंप कहनी गढ़ रहे हैं।
वज़ह यह भी है, कि इससे पहले भी अमेरिकी सरकार ने Iraq के तानाशाह शासक "Saddam Hussain" को भी लंबे समय के बाद अपनी स्पेशल फोर्स के माध्य्म से पकड़ा था वर्ष 2003 में। सद्दाम हुसैन को हिरासत में लेने के बाद उसको अमेरिका ले जाया गया और वहां उसको पूरी दुनिया ने देखा। साथ ही जब अमेरिकी अदालत ने उसको मौत की सज़ा सुनाई, तो फांसी देते वक़्त की तस्वीरें और कुछ मिनटों का वीडियो भी पूरी दुनिया को दिखाया गया। यह सब अमेरिका ने इसलिए किया ताक़ि दुनिया देख सके, कि उस तानाशाह को उसके सही अंजाम तक पहुंचा दिया गया है। जिसका वाक़ई में वो ख़ुद भी हक़दार था। उस वक़्त वहां के राष्ट्रपति "George W Bush" थे।
उसपर मेरा अपना ख़ुद का मानना यह है कि, क्योंकि "Abu Bakr al-Baghdadi" अबतक का सबसे बड़ा और ख़तरनाक़ अपराधी और आतंकी संगठन का मुखिया था व उसको भी ढूंढने में काफ़ी समय और पैसा ख़र्च हुआ, साथ ही पता नहीं कितने निर्दोष लोगों और अमेरिकी सैनिकों की जानें भी गयीं उसका पता लगाने के दौरान। इतने लंबे समय में। इसलिए हो सकता है कि अमेरिकी राष्ट्रपति ने इस आपरेशन को गोपनीय रखना ज़्यादा ठीक समझा। क्योंकि अगर किसी विपक्षी दल के नेता या व्यक्ति ने इस आपरेशन की गोपनीयता लीक करदी होती, तो बहुत हद तक संभव था कि बग़दादी इस बार भी पकड़ में नहीं आता!
वज़ह यह भी है, कि इससे पहले भी अमेरिकी सरकार ने Iraq के तानाशाह शासक "Saddam Hussain" को भी लंबे समय के बाद अपनी स्पेशल फोर्स के माध्य्म से पकड़ा था वर्ष 2003 में। सद्दाम हुसैन को हिरासत में लेने के बाद उसको अमेरिका ले जाया गया और वहां उसको पूरी दुनिया ने देखा। साथ ही जब अमेरिकी अदालत ने उसको मौत की सज़ा सुनाई, तो फांसी देते वक़्त की तस्वीरें और कुछ मिनटों का वीडियो भी पूरी दुनिया को दिखाया गया। यह सब अमेरिका ने इसलिए किया ताक़ि दुनिया देख सके, कि उस तानाशाह को उसके सही अंजाम तक पहुंचा दिया गया है। जिसका वाक़ई में वो ख़ुद भी हक़दार था। उस वक़्त वहां के राष्ट्रपति "George W Bush" थे।
इसके बाद कुख्यात आतंकी और अल कायदा के सरगना "ओसामा बिन लादेन" को भी काफ़ी समय के बाद "Pakistan" के "Abbottabad" में एक अमेरिकी सैनिक कार्यवाही के तहत मौत के घाट उतार दिया गया। हालांकि उसको पकड़कर भी लाया जा सकता था, लेकिन स्पेशल फोर्स को अपना भी बचाव करना होता है। और यह एक काफ़ी ख़तरनाक़ मिशन था। जिसे 2 May 2011 को अंजाम दिया गया। इसमें स्पेशल फोर्स के कमांडो ने अपने सिर में लगे हेलमेट में कैमरे लगा रखे थे, जिनके माध्य्म से अमेरिका में बैठे उस समय के राष्ट्रपति और उनके सहयोगी दल के लोग "White House" में इसका पूरा प्रसारण देख रहे थे। ओसामा बिन लादेन के हाथ में बन्दूक़ को देखते ही कमांडो ने उसके एक गोली छाती में और दूसरी गोली ठीक उसके सिर के बीच में मारी। उसके बाद उसकी लाश को अमेरिकी विमान वाहक जहाज़ पर ले जाया गया और वहां उसकी लाश को सेना के अधिकारियों ने पूरी इज़्ज़त के साथ समुद्र के हवाले कर दिया। इन सबकी वीडियो क्लिप और तस्वीरें भी दुनिया के साथ साझा की गयीं। ताक़ि सबको यक़ीन हो जाये।
इन्हीं बातों को देखते हुए पूरी दुनिया के लोग बग़दादी की मौत पर यक़ीन नहीं कर पा रहे। लेक़िन ट्रंप भी शायद अपनी फ़जीहत नहीं कराना चाहेंगे, क्योंकि चुनाव सर पर हैं। क्योंकि यह ऐलान करना कि बग़दादी को मार दिया गया है और कहीं बग़दादी अपनी वीडियो जारी कर देता यह देखकर या सुनकर तो क्या इज़्ज़त रह जाती ट्रंप सरकार की। इसलिए यह बात ग़लत नहीं लगती "यानी बग़दादी की मौत की ख़बर।"
हालांकि बग़दादी की मौत की पुष्टि "ISIS" संगठन के दूसरे आतंकियों ने कर दी है, अमेरिका को धमकी देते हुए कुछ इस तरह से, कि "अमेरिका को ज़्यादा ख़ुश होने की ज़रूरत नहीं है, हम अपना यह अभियान जारी रखेंगे। (यानी इस्लाम को दुनिया भर में क़ायम करना और दुनिया भर के सभी देशों को शरिया कानून के तहत बनाना।) इसी के चलते ISIS Central Media ने अपनी शाखा "al-Furqan Foundation" से एक ऑडियो जारी किया 31 अक्टूबर 2019 को, कि हमने अपना नया लीडर "Abu Ibrahim al-Hashimi al-Qurayshi" को चुन लिया है!
रही यह बात कि "ट्रंप ने बग़दादी के ऊपर होने वाली इस रैड की बात किसी को भी क्यों नहीं बताई?" तो…
उसपर मेरा अपना ख़ुद का मानना यह है कि, क्योंकि "Abu Bakr al-Baghdadi" अबतक का सबसे बड़ा और ख़तरनाक़ अपराधी और आतंकी संगठन का मुखिया था व उसको भी ढूंढने में काफ़ी समय और पैसा ख़र्च हुआ, साथ ही पता नहीं कितने निर्दोष लोगों और अमेरिकी सैनिकों की जानें भी गयीं उसका पता लगाने के दौरान। इतने लंबे समय में। इसलिए हो सकता है कि अमेरिकी राष्ट्रपति ने इस आपरेशन को गोपनीय रखना ज़्यादा ठीक समझा। क्योंकि अगर किसी विपक्षी दल के नेता या व्यक्ति ने इस आपरेशन की गोपनीयता लीक करदी होती, तो बहुत हद तक संभव था कि बग़दादी इस बार भी पकड़ में नहीं आता!
भले ही अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने यह आपरेशन इसलिए कराया हो, ताक़ि उनकी पकड़ अच्छी हो जाए अमेरिकी लोगों में आगामी चुनाव को देखते हुए। लेक़िन दुनिया के हर व्यक्ति को ख़ुशी होनी चाहिए अगर वह इंसानियत में और शांति में यक़ीन रखता हो तो, कि यह एक बहुत बड़ी उपलब्धि है सबके लिए। क्योंकि Syria, Iraq और उसके आसपास के सभी शहर और इलाक़े के लोग 1970 के दशक से बहुत बड़ी कीमित चुकाते हुए आ रहे हैं। अगर कहा जाए कि दुनिया का सबसे ज़्यादा अविकसित और तनावपूर्ण भरा अगर कोई देश, शहर और इलाक़ा इराक और सीरिया है, तो शायद ग़लत नहीं होगा यह कहना। सबसे पहले 1970 के समय से 2003 तक वहां के लोगों पर अत्याचार "Saddam Hussain" ने किया। फ़िर उसके बाद "Osama Bin Laden" ने किया। और अबतक 2010 से "Baghdadi" ने किया! लगातार 50 सालों से लगभग वहां के लोग तकलीफें झेल रहे हैं, उनकी बड़ी ही निर्ममता से जानें लीं जा रहीं हैं और महिलाओं की इज़्ज़तों से खेला जा रहा है। इसलिए लोगों को शुक्र अदा करना चाहिए, कि बग़दादी को मार दिया गया है।
जैसा कि आपने अभी ऊपर पढ़ा, कि "ISIS" ने "Sheikh Abu Bakr al-Baghdadi" की मौत के बाद संगठन ने अपना नया नेता चुन लिया है (Abu Ibrahim al-Hashimi al-Qurayshi) को। तो यह कहना ग़लत नहीं होगा, कि अमेरिका के साथ - साथ दुनिया के सभी नेताओं को इस मुद्दे का राजनीतिकरण नहीं करना चाहिए और इस नए नेता के साथ - साथ पूरे "ISIS" संगठन को ख़त्म करने की कोशिशें करनी चाहिए। क्योंकि नेता तो भारी - भरकम सुरक्षा व्यवस्था के साथ चलते हैं, लेकिन निर्दोष और मासूम लोग मारे जाते हैं इन आतंकियों के हाथों!
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