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File Photo:B-24D's fly over Polesti during World War II | Image Credit: Wikimedia Commons |
आज उस दूसरे विश्व युद्ध को ख़त्म हुए लगभग 75 साल हो चुके हैं। भारत को भी लगभग इतना ही समय हो चुका है आज़ाद हुए। साथ ही, एक देश जो हमारे ही देश का हिस्सा था यानी पाकिस्तान, उसे भी इतना ही समय हो चुका है भारत से अलग हुए। लेक़िन इन दोनों देशों ने इन बीते हुए लगभग 75 सालों में क्या हासिल किया? क्या आज भारत उन्हीं देशों की तरह आर्थिक रूप से मज़बूत है? क्या आज भारत किसी मामले में इन देशों से आगे है? जवाब है, नहीं!
तो क्यों है ऐसा? जवाब है, क्योंकि हमारे देश ने कभी हिन्दू - मुसलमान से निकलकर किसी और दूसरे ज़रूरी मुद्दे पर बात ही नहीं की, और कमाल की बात तो यह है, कि आज लगभग 75 सालों बाद भी हम उसी हिन्दू - मुसलमान के मामले में उलझे हुए हैं। नफ़रत को कुछ इस तरह दिलों में जगह दे रखी है यहां के लोगों ने, जैसे नफ़रत ना हो कोई मेहबूबा हो! हिन्दू कहता है, कि मुसलमान ने देश के बटवारे के समय हम हिंदुओ को मारा और मुसलमान कहता है, कि हिंदुओं ने हमे मारा। इस बात की लड़ाई आज भी जारी है!
लेक़िन ना हिन्दू सोचता है इस बात को और नाहीं मुसलमान, कि बटवारे के समय हिन्दू भी मारा गया था और मुसलमान भी। वहीं दूसरी ओर जिन देशों ने दूसरे विश्व युद्ध के दौरान अपने - अपने लाखों लोग खोए, उन्होंने भारत के लोगों की तरह नहीं सोचा। उन्होंने वही सोचा जो देश को अमन के और तरक्की के रास्ते पर लेकर जा सकता था यानी उन्होंने यह सोचा कि लोग दोनों तरफ़ के लाखों की तादाद में मारे गए हैं व अगर हमारे दुश्मनों ने हमारे अपने मारे हैं, तो हमने भी तो उनके अपने छीने हैं। बस यही सोच कर वह देश आगे बढ़ गए और आज उस मुक़ाम पर हैं, जिसकी कल्पना भारत तो कर ही नहीं सकता।
आज अगर अमेरिका के डॉलर की बात करें, तो उस एक अमरीकी डॉलर को ख़रीदने के लिए आपको लगभग 70 रुपये देने होंगे। आज अगर यूरो की बात करें, तो आज एक यूरो को ख़रीदने के लिए आपको लगभग 80 रुपये देने होंगे। जबकि आज़ादी के समय हमारे रुपये की वैल्यू भी अमरीकी डॉलर के बराबर थी। जबकि हमारा देश दूसरे विश्व युद्ध में शामिल ही नहीं था। लेक़िन जिन देशों की बात हमने आपको बताई, यानी अमेरिका और जर्मनी वगैराह। यह देश पूरी तरह से ख़त्म व बर्बाद हो चुके थे दूसरे विश्व युद्ध में!
आज के माहौल को देखकर लगता है, कि भारत की स्थिति आने वाले 10 सालों में भी उन देशों के बराबर नहीं हो पाएगी, जिनके बारे में अभी आपने ऊपर पढ़ा। लगता है, जैसे हम भारत के लोगों को 'आज़ादी' रास नहीं आयी! अगर आज भी हमने अपनी सोचों को नहीं बदला, तो इसकी बहुत ही बड़ी क़ीमत हमारी आने वाली पीढ़ियों को चुकानी पड़ेगी!
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