जब 'Coronavirus' ने चीन के वुहान शहर में अपने पसारने शुरू किए थे, उस समय शायद ही भारत की 'Main Stream Media' ने उसके बारे में कोई पब्लिकेशन किया हो। कुछ - एक ही होंगे भारत में, जिन्होंने इस ख़तरनाक़ वायरस की ख़बर को प्राथमिकता दी होगी।
फ़िलहाल... मैंने नहीं देखा किसी को भारत में। लेक़िन जैसे ही मुझे ख़बर मिली, कि चीन के वुहान में 17 लोग इस वायरस की वज़ह से मारे गए हैं और तक़रीबन 200 - 300 लोग संक्रमित हो चुके हैं, तो मैंने फ़ौरन बिना देर किए एक 'Short Article' लिखकर पब्लिश कर दिया। (जिसे आप यहां क्लिक करके पढ़ सकते हैं।)
मैं उस पूरे दिन व उस पूरी रात इंतज़ार करता रहा, कि भारत की बड़ी न्यूज़ एजेंसियां इस ख़बर को दिखाएं और फ़िर मैं भी सो जाऊ कुछ देर के लिए। लेक़िन कोई न्यूज़ नहीं आयी सामने। असल में, मैं चाहता था कि किसी सूरत से लोगों को पता चले जल्द से जल्द, ताक़ि यहां भारत से और देशों में व चीन में जाने से लोग बच सकें।
एक दिन हुआ, दो दिन हुए, चार दिन हुए, लेक़िन कोई ख़बर नहीं। वहीं दूसरी तरफ मेरी घबराहट के साथ - साथ, चीन के वुहान में मरने वाले लोगों की गिनती बढ़ती जा रही थी। मगर भारत में दिल्ली के विधानसभा चुनाव ज़रूरी थे। नेताओं, पार्टियों और न्यूज़ चैनलों के लिए, जो 8 फ़रवरी 2020 को होने थे। आपको बता दूं, कि चीन से पहली ख़बर अंतरराष्ट्रीय मीडिया में 21 जनवरी या 22 जनवरी 2020 को आई थी।
यहां चुनाव की चर्चाएं चलतीं रहीं और उधर चीन में मरने वालों की गिनती भी। ना सरकार को चिंता थी और नाहीं मीडिया को! जब चुनाव निपट गए, तो पहली ख़बर भारत की मीडिया में देखने को मिली 13 या 14 फ़रवरी 2020 को। उस ख़बर में भी मीडिया के पास बिल्कुल ताज़ा आंकड़े नहीं थे, क्योंकि जिस दिन मीडिया ने इस ख़बर को दिखाया था, उस दिन उन्होंने बताया कि "चीन में मरने वाले लोगों की संख्या 1322 हो गयी है!" जबकि असल संख्या थी 1376!
अब आप ही सोचिए, कि जिस वायरस को लेकर (WHO) बेहद परेशान हो और दुनिया भर के देश भी। क्या वह ख़बर चिंताजनक नहीं थी? क्या मीडिया को इस ख़बर को पहले ही नहीं दिखाना या बताना चाहिए था, ताक़ि लोगों इस वायरस का पता चलता और वह अपना बचाव शुरू करते? लेक़िन मीडिया ने ऐसा नहीं किया और लगे रहे नेताओं व पार्टियों के चुनाव प्रचार में! कोई डिबेट्स नहीं कीं इस वायरस को लेकर, कि इससे कैसे बचें और क्या करें लोग ऐसा जिससे वे इस वायरस की चपेट में ना आएं।
कमाल की बात तो यह रही, कि भारत अभी वायरस की चपेट में नहीं आया है। जिस तरह साउथ कोरिया, यूरोप के कुछ देश व शहर और इटली, ईरान आदि आ चुके हैं। आज इसी बात की गंभीरता को देखते हुए, (WHO) के बाद अमेरिकी देश की इंटेलिजेंस एजेंसीज की एक रिपोर्ट सामने आई है। जिसमें लिखा है, कि "अगर 'Coronavirus' भारत में ज़रा सा भी फ़ैला, तो भारत इस वायरस से कैसे निपटेगा?" (न्यूज़ रिपोर्ट, ऊपर स्क्रीनशॉट में देखें।)
यानी यह एक साफ़ संकेत है इस बात का, कि WHO और अमेरिका यह कह रहे हैं, कि भारत इस काबिल नहीं है, जो वायरस से निपट पाए अगर वायरस फ़ैला तो। जिस तरह विकसित देश इसपर लगाम लगाए हुए हैं और इस वायरस के मामलों से निपटने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं।
(आपको यह भी बता दें, कि अभी इस वायरस की कोई वैक्सीन ईजाद नहीं हो पाई है और (WHO) का कहना है, कि वैक्सीन को ईजाद करने में अभी तक़रीबन 18 महीने लग सकते हैं, और वो भी एक महज़ टेस्ट सैंपल होगा।)
फ़िलहाल... मैंने नहीं देखा किसी को भारत में। लेक़िन जैसे ही मुझे ख़बर मिली, कि चीन के वुहान में 17 लोग इस वायरस की वज़ह से मारे गए हैं और तक़रीबन 200 - 300 लोग संक्रमित हो चुके हैं, तो मैंने फ़ौरन बिना देर किए एक 'Short Article' लिखकर पब्लिश कर दिया। (जिसे आप यहां क्लिक करके पढ़ सकते हैं।)
मैं उस पूरे दिन व उस पूरी रात इंतज़ार करता रहा, कि भारत की बड़ी न्यूज़ एजेंसियां इस ख़बर को दिखाएं और फ़िर मैं भी सो जाऊ कुछ देर के लिए। लेक़िन कोई न्यूज़ नहीं आयी सामने। असल में, मैं चाहता था कि किसी सूरत से लोगों को पता चले जल्द से जल्द, ताक़ि यहां भारत से और देशों में व चीन में जाने से लोग बच सकें।
एक दिन हुआ, दो दिन हुए, चार दिन हुए, लेक़िन कोई ख़बर नहीं। वहीं दूसरी तरफ मेरी घबराहट के साथ - साथ, चीन के वुहान में मरने वाले लोगों की गिनती बढ़ती जा रही थी। मगर भारत में दिल्ली के विधानसभा चुनाव ज़रूरी थे। नेताओं, पार्टियों और न्यूज़ चैनलों के लिए, जो 8 फ़रवरी 2020 को होने थे। आपको बता दूं, कि चीन से पहली ख़बर अंतरराष्ट्रीय मीडिया में 21 जनवरी या 22 जनवरी 2020 को आई थी।
यहां चुनाव की चर्चाएं चलतीं रहीं और उधर चीन में मरने वालों की गिनती भी। ना सरकार को चिंता थी और नाहीं मीडिया को! जब चुनाव निपट गए, तो पहली ख़बर भारत की मीडिया में देखने को मिली 13 या 14 फ़रवरी 2020 को। उस ख़बर में भी मीडिया के पास बिल्कुल ताज़ा आंकड़े नहीं थे, क्योंकि जिस दिन मीडिया ने इस ख़बर को दिखाया था, उस दिन उन्होंने बताया कि "चीन में मरने वाले लोगों की संख्या 1322 हो गयी है!" जबकि असल संख्या थी 1376!
अब आप ही सोचिए, कि जिस वायरस को लेकर (WHO) बेहद परेशान हो और दुनिया भर के देश भी। क्या वह ख़बर चिंताजनक नहीं थी? क्या मीडिया को इस ख़बर को पहले ही नहीं दिखाना या बताना चाहिए था, ताक़ि लोगों इस वायरस का पता चलता और वह अपना बचाव शुरू करते? लेक़िन मीडिया ने ऐसा नहीं किया और लगे रहे नेताओं व पार्टियों के चुनाव प्रचार में! कोई डिबेट्स नहीं कीं इस वायरस को लेकर, कि इससे कैसे बचें और क्या करें लोग ऐसा जिससे वे इस वायरस की चपेट में ना आएं।
कमाल की बात तो यह रही, कि भारत अभी वायरस की चपेट में नहीं आया है। जिस तरह साउथ कोरिया, यूरोप के कुछ देश व शहर और इटली, ईरान आदि आ चुके हैं। आज इसी बात की गंभीरता को देखते हुए, (WHO) के बाद अमेरिकी देश की इंटेलिजेंस एजेंसीज की एक रिपोर्ट सामने आई है। जिसमें लिखा है, कि "अगर 'Coronavirus' भारत में ज़रा सा भी फ़ैला, तो भारत इस वायरस से कैसे निपटेगा?" (न्यूज़ रिपोर्ट, ऊपर स्क्रीनशॉट में देखें।)
यानी यह एक साफ़ संकेत है इस बात का, कि WHO और अमेरिका यह कह रहे हैं, कि भारत इस काबिल नहीं है, जो वायरस से निपट पाए अगर वायरस फ़ैला तो। जिस तरह विकसित देश इसपर लगाम लगाए हुए हैं और इस वायरस के मामलों से निपटने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं।
(आपको यह भी बता दें, कि अभी इस वायरस की कोई वैक्सीन ईजाद नहीं हो पाई है और (WHO) का कहना है, कि वैक्सीन को ईजाद करने में अभी तक़रीबन 18 महीने लग सकते हैं, और वो भी एक महज़ टेस्ट सैंपल होगा।)
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